शहर की प्रमुख शिक्षण संस्था द लर्निंग फील्ड ए ग्लोबल स्कूल (टी.एल.एफ) की मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन इंजी. जनेश गर्ग व डायरेक्टर डा.मुस्कान गर्ग के दिशा-निर्देशों पर स्कूल में आज वर्ल्ड सॉइल डे बड़े उत्साह के साथ मनाया, ताकि विद्यार्थियों को धरती पर जीवन बनाए रखने में मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। इस दिन की शुरूआत सभी क्लास में अध्यापकों द्वारा एक जानकारी भरी और देखने में अच्छी पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन दिखाने से हुई। प्रेजेंटेशन में मिट्टी बनने की प्रक्रिया, उसकी परतें, उसे बचाने के तरीके और खाने की सुरक्षा और पर्यावरण के लिए हेल्दी मिट्टी के ग्लोबल महत्व पर जोर दिया गया। विद्यार्थियों के लिए पी.पी.टी प्रेजेंटेशन थी जिसमें जरूरी बातें और क्रिएटिव विजुअल्स शेयर किए गए। उनकी भागीदारी से टॉपिक की गहरी समझ और पर्यावरण सीखने में उनकी गहरी दिलचस्पी दिखाई दी। प्रिंसिपल रंजीत भाटिया ने बताया कि वर्ल्ड सॉइल दिवस पर त्साही स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने एक हैंड्स-ऑन सॉइल एक्टिविटी की, जिसमें उन्होंने मिट्टी के प्रकार (रेत, चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी), पौधों, जानवरों और इंसानी जीवन को सहारा देने में मिट्टी के फायदे, अलग-अलग तरह की मिट्टी कहां पाई जाती है, आसान एक्सपेरिमेंट के जरिए हर तरह की मिट्टी की पानी रोकने की क्षमता बारे भरपूर जानकारी हासिल की। इस मौके पर स्कूल की डायरेक्टर डा.मुस्कान गर्ग ने कहा कि इन एक्टिविटीज से विद्यार्थी यह देख पाए कि अलग-अलग तरह की मिट्टी पानी कैसे रोकती है, जिससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि कौन सी मिट्टी खेती और पेड़-पौधे लगाने के लिए सबसे अच्छी है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड सॉइल दिवस ने विद्यार्थियों को मिट्टी को एक कीमती प्राकृतिक संसाधन के रूप में महत्व देने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मिट्टी को बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। यह इवेंट एजुकेशनल और मजेदार दोनों था, जिसने युवा सीखने वालों पर एक छवि छोड़ गया। इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन इंजी.जनेश गर्ग ने कहा कि मृदा जिसे हम आम बोलचाल की भाषा मे मिट्टी कहते हैं, हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है। मिट्टी के महत्व को याद रखने और उसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पांच दिसंबर को ये दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों का ध्यान मृदा संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन की तरफ केंद्रित करना है। उद्योगों इकाइयों द्वारा पर्यावरण मानकों के प्रति बरती जा रही लापरवाही और कृषि भूमि के कुप्रबंधन से मिट्टी की स्थिति खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि मिट्टी के लिए जश्न मनाने की विश्व स्तर पर शुरुआत इसी महीने यानी दिसंबर 2013 से हुई। जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक के दौरान पांच दिसंबर को विश्व मृदा संरक्षण दिवस मनाने का फैसला लिया। इसके लिए एक संकल्प भी पारित किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों की एक्टिविटी का निरीक्षण करते हुए उनकी सराहना करते इसी प्रकार हिस्सा लेने को प्रेरित किया। इस मौके पर स्कूल अध्यापक व विद्यार्थी मौजूद थे।

